Posts

Showing posts from November, 2018

अब कहती हो प्यार हुआ है क्या अधिकार तुम्हारा है

नींद चुराकर तुमने मेरी हर ख्वाब हमारे बेच दिए धूप चुराकर तुमने मेरी सरहद जैसे खींच दिए जब गीत सुनाता था सावन का तुम पतझर की लोरी सुनती थी जब कहता था मैं हाल दिलो का तुम तानो से मुझको बुनती थी देख रहा था सपने तुम संग तुमने झटके में तोड़ दिए अब कहती हो प्यार हुआ है क्या अधिकार तुम्हारा है। जब चाहा दिल से खेल लिया जब चाहा फीर से प्यार किया तुमने मेरी जान बनकर मेरी जान को बेच दिया। जब मैं टूटा था खुद में बन्द दरवाज़ों में मैं रोता था तुम सोती होगी मखमल पर मैं तो काँटो पर सोता था चैन हमारा लूट लिया तुम अपने अल्फाज़ो से अब उम्र ढली तो प्यार हुआ है क्या अधिकार तूम्हारा है मेरे हृदय के मन्दिर में क्या स्थान तुम्हारा है 😊😊